zindagi ki sachchai 



खुद की खुशिया ढूंढ तू खुद के अंदर 
क्यों कह रहे हो सिर्फ अपनी ही बातें 
क्यों नहीं जानता कितनी गहराई है इसमें 
खुद को जानना है तो कूद जा समंदर के अंदर 
zindagi ki sachchai
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पागल हो जाओगे इतना की  मत पूछो 
इस जहाँ को भी समझने लगोगे 
खुद को तो जानोगे ही,लेकिन दुनिया कहेगी एक दिन 
इतना प्यार करते हैं तुमसे इतना की तुम मत पूछो 


खुशियों को तो ज़रा समझ लेना  अरे ओ मेरे दोस्त 
दुनिया ये नहीं पूछेगी की तुम खुश हो की नहीं 
दुनिया ये पूछेगी की  मुझे तुम कितना खुश रखते हो 
इसलिए सोच लो जान लो और खुद को पहचान भी लो मेरे दोस्त 

zindagi ki sachchai 


खुद को बदल लो दुनिया खुद बखुद बदल जायेगी 
खुद को सुधार लो दुनिया खुद बखुद सुधर जायेगी 
ऐतबार करना तुम जरूर अपने ऊपर 
क्योंकि दुनिया तो कभी किसी पे ऐतबार की है और नहीं कभी 
किसी पे करेगी 


पागल है तेरे चाहने वाले वो नहीं जानते 
की तुम कैसी ज़िन्दगी जी रहे हो 
ये तो तुम ही हो जो खुद की पहचाने हो 
की कोई दर्द की गहराई को नहीं जानना चाहते 

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