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खुदा की रहमत तो देखो
मैं तो हो गया खड़ा सबसे आगे
न तो कोई था और न ही कोई थी
और न ही मैं खड़ा था कुछ मांगे
खुल कर मैं आया सामने तेरे
की तू मुझे पहचान सको
खुश था मैं आपको देखकर
की क्या होगा अंजाम तेरे
खुश हुआ हूँ तेरी बातों को सुनकर
की मैं क्या करूँ तुझे पाकर
खुद को तो मैं कर दिया तेरे हवाले
खुद की पहचान पाकर
क्यों हो गई हो इतनी तू क्यों गंभीर
खुश हो जाओ अपनी बातों में
क्योंकि न तो कोई सुनता है
और न ही कोई सुन्ना चाहता है
की तेरी अब कोई खैर नहीं
खुद ही मैं हु तेरे सामने की
जिससे हो सके रूबरू तु
आज का पोस्ट खुद की अहमियत को बताने के लिए है ||
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